[Gujarati Club] आधुनिक बोधकथाएँ -४. सुंदर गायिका ।

 

अकबर-बिरबल ।


 (सौजन्य-गुगल)

सुंदर गायिका ।



अकबर - "बिरबल,तानसेनजी एक माह की पी.एल. (छुट्टी) पर जानेवाले हैं । यार, उनकी जगह मन बहलाने लिए, इस बार अगर सुंदर गायिका का प्रबंध हो जाए, तो मझा आ जाए..!!"

बिरबल -" बादशाह सलामत, एक काम करते हैं । सारे राज्य में ढिंढोरा पिटवा के, सुंदर गायिका का इंटरव्यू करते हैं ना, ठीक है?"

अकबर -" वैरी गुड आइडिया, बिरबल ऐसा ही करते हैं । तानसेनजी एक हफ़्ते के बाद, छुट्टी पर जानेवाले है,उससे पहले गायिका का एपॉइन्टमेन्ट हो जाना चाहिए,क्या?"


बिरबल - " डॉन्ट वरी, जहाँपनाह, मैं हूँ ना..!!  ऐसा ही होगा, आप निश्चिंत रहें ।"


तुरंत, सारे राज्य में ढिंढोरा पिटवाया गया । कई रूपमती,नाज़ुक,सुंदर गायिका इंटरव्यू के लिए उपस्थित हो गई । इनमें से कुछ स्वरूपवान गायिका,  सेमी फ़ाइनल राउंड के लिए सिलेक्ट भी हुई ।

इसी दौरान, एक दिन बादशाह अकबर, बड़े गभराये से, बौखलाये से ,बिरबल के पास पहुँचे..!!

चेहरे पर आतंक के भाव के साथ,बादशाह ने बिरबल से कहा," यार, बिरबल, महल में, मेरी बेग़म को पता चल गया है कि, हम तानसेन की एवज़ में सुंदर गायिका ढूंढ रहे हैं । पता नहीं कहाँ से, उसकी कोई सहेली आ धमकी है? अब बेग़म ने पूरा महल सर पे उठा लिया है कि अगर गायिका सिलेक्ट करना है तो, उसे ही एपॉइन्ट करना पड़ेगा..!! बिरबल,यु...नॉ..तु तो समझता है ना, हम सुंदर गायिका क्यों ढूंढ रहे हैं? जल्दी कुछ कर यार,कुछ कर...!!"

बिरबल- "जहाँपनाह, आप बेग़म से इतना डरते क्यों हैं..!! अगर ऐसी बात है तो, आप सबकुछ मुझ पर छोड़ दीजिए, मैं कुछ करता हूँ ।"

तुरंत,सिर पर पैर लिए, बिरबल, महल की ओर भागे..!! बेग़म साहिबा को,पता नहीं बिरबल ने क्या समझाया कि, शाम होते होते ही, बेग़म ने ज़िद त्याग कर, अपनी सहेली को उसके गाँव परत भेज दिया..!!

बादशाह को जब, ये बात  ज्ञात हुई कि, बेग़म की सहेली वापस गाँव चली गई है तब,उन्होंने बिरबल को, ढेर सारे इनाम से नवाज़ा और पूछा,


"यार..तुमने ऐसा क्या किया कि, बेग़म ने अपनी ज़िद त्याग कर, अपनी सहेली को,गाँव  भगा दिया?

बिरबल ने गंभीर होकर,बादशाह सलामत से कहा-" कुछ खास नहीं,जहाँपनाह..!! मैंने तो बेग़म साहिबा को सिर्फ इतना ही कहा कि, बादशाह सलामत, भरे दरबार में बूढ़े तानसेन के आलाप सुन सुन कर बोर हो गए हैं..!!  इसलिए अब एक माह के लिए, जहाँपनाह को, भरे दरबार की जगह, हमामख़ाने में, अपने मनोरंजन के लिए, अत्यंत सुंदर, रूपमती, बाथरूम सिंगर को एपॉइन्ट करना है..!!"

बादशाह, " यु आर वैरी स्मार्ट,बिरबल..,फिर क्या हुआ?"

बिरबल," फिर क्या? बेग़म साहिबा को मैंने समझाया, आपकी सहेली बहुत खूबसूरत है, अगर बादशाह ने, उसे हमेशा रख लिया तब तो पक्का, आपका स्थान ख़तरे में है..!!"

बादशाह-"शाबाश, बिरबल, ये ले, उपहार में, ये नौलखा हार भी रख और बता, बाद में क्या हुआ?"

बिरबल -" बाद में? बाद में, बेग़म साहिबा ने, तानसेनजी को तलब करके उनकी पी.एल (छुट्टियाँ) रद्द कर दी..!!"

बादशाह-" अ...रे, या..आ..आ..र..!! ये क्या हो गया?"

आधुनिक बोध- नारी को समझाने के लिए, नारीमें छुपे जन्मजात इर्ष्याभाव को जाग्रत करके उसका कुशलता से सदुपयोग करने में कोई बुराई नहीं है..!!



मार्कण्ड दवे ।दिनांक-३०-०४-२०११.

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प्यारे दोस्तों,

अगर आप मूल रचनाकार हैं,तो आपके सृजनकी रक्षा के लिए, निम्न आलेख, मेरे ब्लॉग पर, आकर ज़रूर पढें ।


कॉपीराइट एक्ट | HELPFUL HAND BOOK


http://mktvfilms.blogspot.com/2011/04/helpful-hand-book.html


(प्रतिलिपि अधिकार अधिनियम)


 (HELPFUL HAND BOOK)



भड़कीला सवाल- " डॉमेस्टिक वायॉलन्स एक्ट २००५ भी, एक तरह से कॉपी राइट भंग का कानून है क्या?"



चटकीला जवाब-"शायद, मगर अच्छा है कि,किसी के सास-ससुर, अपने मौलिक सृजन,(बेटी) का विवाह करने के पश्चात उसे, अपनी कॉपी राइट प्रोटेक्टेड मिल्कियत मान कर, बेटी में देखे गए, शारीरिक,मानसिक,आर्थिक और सामाजिक स्तर के बदलाव का हिसाब माँगकर, कॉपी राइट एक्ट उल्लंघन का नोटिस नहीं भेजते हैं वर्ना, कोई भी दामाद का बच्चा, सास-ससुर के इस अनमोल मौलिक सृजन को, शादी के दिन जैसा, तरोताज़ा कहाँ रख पाता है?"


मार्कण्ड दवे । दिनांक- २७ नवम्बर २०१०.

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