सुलह बाक़ी है अभी..!!(गीत)
भर दे मेरा जाम कि,प्यासी सतह ख़ाली है अभी..!!
भर ले दर्द और कि, दिल में जगह बाक़ी है अभी..!!
अंतरा-१.
हो गया है चलन सा, प्यार में धोखेबाज़ी का..!!
कर ले सरपट प्यार,दिल की फतह बाक़ी है अभी..!!
भर ले दर्द और कि,दिल में जगह बाक़ी है अभी..!!
( फतह = विजय,जीत )
अंतरा-२.
एक दिन तुम भी खाओगे,ठोकर जहान से..!!
मिटा दे ये मगरूरी, हाल अपह बाक़ी है अभी..!!
भर ले दर्द और कि,दिल में जगह बाक़ी है अभी..!!
(हाल अपह = प्रलयकारी स्थिति )
अंतरा-३.
झुक जायेगी ये आरज़ू, खुल जायेगा नक़ाब..!!
कर ले ज़रा इकराम,दिल से कलह बाक़ी है अभी..!!
भर ले दर्द और कि, दिल में जगह बाक़ी है अभी..!!
( इकराम = सम्मान, आदर ; कलह = झगड़ा, विवाद )
अंतरा-४.
थक चुकी हैं धड़कनें, आलम के झूठे अलम से..!!
अय मौत ठहर ज़रा, उनसे सुलह बाक़ी है अभी..!!
भर ले दर्द और कि, दिल में जगह बाक़ी है अभी..!!
( आलम = दुनिया ; अलम = पश्चाताप, अफ़सोस )
मार्कण्ड दवे । दिनांक-०६-१२-२०११.
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MARKETPLACE
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