[Gujarati Club] ओ..री कुरसी माई । (व्यंग गीत)

 




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चुनाव  में  हारे  हुए  नेताजी  की  व्यथा ?

ओ..री  कुरसी  माई । (व्यंग गीत)

हमको  तू  ना  मिली...(२)
सारी  खुशियाँ  मिले  भी  तो  क्या  है ...!
हमरी  लुटिया  डूबी....ओ..री  कुरसी  माई...!
हमरी सरकार बने भी तो क्या है ....!
१.
बीवी  के  पैरों  की  अब  धूल  हूँ ।
तुझ से  बिछड़ा  हुआ  फूल (FOOL) हूँ ।
साथ  तेरा  नहीं, सारी  जनता  पीटे  भी  तो  क्या  है ....!
हमरी  लुटिया  डूबी....ओ..री  कुरसी  माई...!
हमरी सरकार बने भी तो क्या है ....!
२.
तुझ से  लिपट  कर, कुछ कमा  लेते  हम ।
कोयला  भी  नहीं,  जहाँ  हीरों  से  कम...!
हाथ  काले  नहीं, अब  हाथ  मले  भी  तो  क्या  है ....!
हमरी  लुटिया  डूबी....ओ..री  कुरसी  माई...!
हमरी  सरकार  बने  भी  तो  क्या  है ....!
३.
तरसता हूँ  मैं, तू `मोदी`में है मगन...!
फिर जाने कब  होगा,अपना मिलन...!
लाख   टुच्चे  यहाँ, मेरा  दिल  अब  जले  भी  तो  क्या  है...!
हमरी  लुटिया  डूबी....ओ..री  कुरसी  माई...!
हमरी  सरकार  बने  भी  तो  क्या  है ....!
हमको  तू  ना  मिली...(२)
सारी  खुशियाँ  मिले  भी  तो  क्या  है ...!

मार्कण्ड  दवे । दिनांकः ०४-१२-२०१२.



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