[Gujarati Club] सरकती रात का आँचल । (गीत)

 




सरकती रात का आँचल । (गीत)


सरकती रात का, आँचल मैं  थामे  बैठा  हूँ ।

यारों   की  भीड़  में, तन्हाई  थामे  बैठा  हूँ ।


दिदारे यार  को, तरसता रहा, मैं भी, यार भी,

भरी  महफ़िल में  ये,रुसवाई  थामे  बैठा  हूँ ।


अंतरा-१.

आस थी इस शाम को,आयेंगे ना, आये वो..!!

बेवफ़ा, ग़मे  आशिकी,गले लगाए  बैठा  हूँ ।

भरी  महफ़िल में  ये,रुसवाई  थामे  बैठा  हूँ ।

सरकती  रात  का, आँचल  मैं थामे बैठा  हूँ ।

अंतरा-२.

प्यार में अक्सर, कहते थे  वो, मर जायेंगे ..!!

मैं  न  भूला,आज तक,जाँ  लूटाये  बैठा हूँ ।

भरी  महफ़िल में  ये,रुसवाई  थामे  बैठा  हूँ ।

सरकती रात  का, आँचल मैं थामे  बैठा हूँ ।

अंतरा-३.

ना जाने क्यूँ, दामन बचा कर, वो चल दिये..!!

राहें  उनकी, रोशन  रहें, दिल जलाए  बैठा हूँ ।

भरी   महफ़िल  में  ये, रुसवाई  थामे  बैठा  हूँ ।

सरकती  रात  का,  आँचल   मैं  थामे  बैठा हूँ ।

अंतरा-४.

क्या करुं,दिले जलन को,काश ये होता नहीं..!!

मर जाउंगा लो, आज  मैं, जाम थामे  बैठा  हूँ ।

भरी   महफ़िल  में   ये,रुसवाई  थामे  बैठा  हूँ । 

सरकती   रात  का, आँचल  मैं  थामे  बैठा हूँ ।


यारों   की   भीड़   में,   तन्हाई  थामे  बैठा  हूँ ।

सरकती  रात  का, आँचल  मैं  थामे  बैठा हूँ ।

मार्कण्ड दवे । दिनांक-१३-१०-२०११.

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