[Gujarati Club] यादों की बारिस..! (गीत)

 





यादों  की   बारिस..! (गीत)


यादों  की   बारिस   हो    रही   है, पलपल   ऐसे..!

सूखी   नदी  में   हो, झरनों  की   हलचल   जैसे..!


१.


दिल का चमन  शायद, गुलगुल  हो न  हो मगर, 

ख़्वाब   होगें  ज़रूर  गुलज़ार, हो  मलमल  जैसे..!

सूखी   नदी  में   हो, झरनों  की   हलचल   जैसे..!


गुलगुल=मुलायम; गुलज़ार=हराभरा 


२.


दर्द - दरख़्त   बूढ़ा,  सो   गया   है  साहिल   पर,

फिर    जागेगा    वह, जवानी   हो   चंचल   जैसे..!

सूखी   नदी  में   हो, झरनों  की   हलचल   जैसे..!


दरख़्त=पेड़; साहिल = तट


३.



दब    गया   पारा - ए - दिल, घाव  के  संग  तले,

फिर   आयेगा   ऊपर, फाड़  कर   दलदल   जैसे..!

सूखी   नदी  में   हो, झरनों  की   हलचल   जैसे..!


पारा-ए-दिल= दिल का एक टूकड़ा; संग=पत्थर


४.


जमकर  बरसना अय तसव्वर, तुम  क्या जानो,

तरस  गये  हैं  कान, सुनने को  कलकल  कैसे..!

सूखी   नदी  में   हो, झरनों  की   हलचल   जैसे..!


तसव्वर=याद; कलकल=जल के बहने से उत्पन्न मधुर शब्द ।


© मार्कण्ड दवे । दिनांकः ०१-०४-२०१३.



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MARKAND DAVE
http://mktvfilms.blogspot.com   (Hindi Articles)

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