Micro Short story - 5.
`विष पान ।`
बैंक के वोशरूम में, कैशियर शिव अत्यंत दुःखी मन के साथ, हाथ में ज़हर की शीशी लिए बैठा था कि अचानक, वॉशररूम का दरवाजा किसी ने खटखटाया, " शिव, मैनेजर साहब ने फौरन तलब किया है..!" किसी कठपुतली की भाँति, खुद को घसीटता हुआ, शिव मैनेजर की केबिन तक पहुंचा ।
" शिव, ये मि. शर्मा हैं, दो लाख रुपये का आज हिसाब नहीं मिल रहा है, वह गलती से तुमने इन्हें दे दिया था, अब कोई कानूनी कार्यवाही नहीं होगी..!"
शर्मा जी बोले, "मुझे याद है..! लॉकर से निकाले हुए लाखों के ज़ेवर, जब मैं यहीं भूल गया था, तब आप ने ही तो सारे ज़ेवर सही-सलामत मुझे वापस किए थे..!"
शिव ने आँसू की बूँदो के साथ, मैनेजर साहब के टेबल पर, ज़हर की शीशी और स्यूसाईड नोट भी रख दिया, जिसे पढ़ कर, उपस्थित सभी लोग रो पड़े..!
" शिव, ये मि. शर्मा हैं, दो लाख रुपये का आज हिसाब नहीं मिल रहा है, वह गलती से तुमने इन्हें दे दिया था, अब कोई कानूनी कार्यवाही नहीं होगी..!"
शर्मा जी बोले, "मुझे याद है..! लॉकर से निकाले हुए लाखों के ज़ेवर, जब मैं यहीं भूल गया था, तब आप ने ही तो सारे ज़ेवर सही-सलामत मुझे वापस किए थे..!"
शिव ने आँसू की बूँदो के साथ, मैनेजर साहब के टेबल पर, ज़हर की शीशी और स्यूसाईड नोट भी रख दिया, जिसे पढ़ कर, उपस्थित सभी लोग रो पड़े..!
हाँ, आँसू तो थे मगर, खुशी के, क्योंकि, भोला-भाला शिव विष पान से बाल-बाल बच गया?
मार्कण्ड दवे । दिनांकः २१-०४-२०१४.
मार्कण्ड दवे । दिनांकः २१-०४-२०१४.
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